भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद्
(पर्यावरण, वन मंत्रालय एवं जलवायु परिवर्तन ,भारत सरकार)
 

निदेशक का संदेश


  

शुष्क वन अनुसंधान संस्थान (आफरी) की ओर से, मैं संस्थान की वेबसाइट पर आपका गर्मजोशी से स्वागत करते हुए गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ । आफरी का शुष्क और अर्ध-शुष्क वानिकी अनुसंधान में उत्कृष्टता का एक लंबा और गौरवपूर्ण इतिहास है, जो 1988 से पश्चिमी भारतीय क्षेत्र की सेवा कर रहा है। आज जब हम एक चुनौतीपूर्ण समय के से गुज़र रहे हैं, वैज्ञानिक अनुसंधान, संरक्षण और शुष्क और अर्ध-शुष्क पारिस्थितिक तंत्र के स्थायी प्रबंधन के प्रति हमारी प्रतिबद्धता अटूट बनी हुई है। 

भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद (ICFRE) के तहत एक संस्थान आफरी , जैव विविधता, वनीकरण और जलवायु परिवर्तन अनुकूलन से संबंधित ज्ञान को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता आय रहा है। वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और वन अधिकारियों की हमारी समर्पित टीम महत्वपूर्ण पर्यावरणीय मुद्दों को हल करने के लिए सहयोग कर रही हैं।

सफलता की विरासत पर निर्माण

पिछले दशकों में, आफरी ने महत्वपूर्ण वानिकी प्रौद्योगिकियों के विकास और प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। हमने अपने सबसे बड़े हितधारक वन विभाग के साथ मिल कर राजस्थान और गुजरात के चुनौतीपूर्ण पारिस्थितिक तंत्र में वनस्पति आवरण बढ़ाने और जैव विविधता के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हमारे शोध ने स्थानीय समुदायों को स्थायी भूमि प्रबंधन और पर्यावरण संरक्षण के लिए व्यावहारिक समाधान के साथ सशक्त बनाया है । 

बदलते परिवेश के लिए नवाचार 

आज, दुनिया अभूतपूर्व पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना कर रही है। जलवायु परिवर्तन, मरुस्थलीकरण, और जैव विविधता हानि उन परिदृश्यों को खतरे में डालती है जिनकी हम रक्षा करने का प्रयास कर रहे हैं। आफरी में, हम इन नई वास्तविकताओं को पूरा करने के लिए अनुकूलन और नवाचार करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

हमारे फोकस क्षेत्रों में शामिल हैं:

• जैव विविधता संरक्षण: हम वृक्षों के आवरण को बढ़ाने, लुप्तप्राय प्रजातियों की रक्षा करने और स्थानीय समुदायों के लिए स्थायी आजीविका को बढ़ावा देने का शोध द्वारा प्रयास करते हैं। हमारा शोध शुष्क क्षेत्रों में अद्वितीय वनस्पतियों और जीवों के संरक्षण में योगदान देता है।

•  वनीकरण और पुनर्वनीकरण: आफरी, वृक्षारोपण के लिये नवीन तकनीकों का नेतृत्व करता है, रेत के टिब्बों के स्थिरीकरण, मृदा नमी संरक्षण, तनावग्रस्त बंजर भूमि, लवाणीय भूमि, चट्टानी बंजर भूमि और कृषि वानिकी के पुनर्वास हमारे कुछ आयाम हैं । हमारे प्रयास पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली और मरुस्थलीकरण को रोकने में योगदान करते हैं।

•  आनुवंशिक विविधता मूल्यांकन और वानिकी प्रजातियों में सुधार: आफरी, पादपों की जनसंख्या आनुवंशिकी का अध्ययन करने, मौजूदा जर्मप्लाज्म में सुधार करने और गुणवत्ता रोपण सामग्री प्रदान करने के लिए शास्त्रीय आनुवंशिकी और अत्याधुनिक आणविक जैव प्रौद्योगिकी का उपयोग कर रहा है।

•  जलवायु लचीलापन: हम शुष्क पारिस्थितिक तंत्र पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का अध्ययन करते हैं, सूखा-सहिष्णु प्रजातियों को विकसित करने का प्रयास करते हैं और जल-उपयोग दक्षता को बढ़ावा देते हैं। हमारा लक्ष्य लचीला परिदृश्य का निर्माण करना है जो जैव उर्वरकों और आईपीडीएम सहित पर्यावरण के अनुकूल प्रौद्योगिकियों के उपयोग के माध्यम से पर्यावरणीय उतार-चढ़ाव का सामना करता है।

•  गैर-इमारती लकड़ी के वन उत्पाद: आफरी, गैर-लकड़ी वन उत्पादों की क्षमता की पड़ताल करता है, उनके सतत उपयोग पर जोर देता है। ये उत्पाद आजीविका वृद्धि और ग्रामीण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

•  क्षमता निर्माण: कार्यशालाओं, प्रशिक्षण कार्यक्रमों और आउटरीच के माध्यम से, हम वन अधिकारियों, किसानों और छात्रों को नवीनतम वैज्ञानिक ज्ञान और सर्वोत्तम प्रथाओं के साथ सशक्त बनाते हैं।

एक साझा भविष्य

आफरी शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों के लिए एक हरित और टिकाऊ भविष्य को बढ़ावा देने के अपने मिशन के लिए समर्पित है। हम आपको हमारी वेबसाइट द्वारा, हमारी चल रही परियोजनाओं के बारे में अधिक जानने और इस महत्वपूर्ण प्रयास में हमारे साथ जुड़ने के लिए आमंत्रित करते हैं। साथ मिलकर, हम आने वाली पीढ़ियों के लिए अपने वनों के स्वास्थ्य और स्थिरता को सुनिश्चित कर सकते हैं। एक साथ, हम एक फर्क कर सकते हैं।

आपके निरंतर समर्थन के लिए धन्यवाद!

(डॉ. आशुतोष कुमार त्रिपाठी)
वैज्ञानिक जी एवं निदेशक, भा.वा.अ.शि.प.-शुष्क वन अनुसंधान संस्थान
 

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 (डॉ. आशुतोष कुमार त्रिपाठी)

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