भावाअशिप - शुष्क वन अनुसंधान संस्थान

भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद्
(पर्यावरण, वन मंत्रालय एवं जलवायु परिवर्तन ,भारत सरकार)
 

वन संवर्धन एवं वन प्रबंधन प्रभाग प्रभाग


प्रस्तावना
किसी भी समुदाय के लिए वन अत्यंत महत्वपूर्ण संसाधन हैं एवं समुदाय की बेहतर आजीविका के लिए इन स्रोतों का समुचित उपयोग किया जाना चाहिए। वृध्दि एवं उपज अध्ययनों द्वारा वनों की उत्पादकता में आशातीत वृध्दि की जा सकती है। समुचित प्रबंधन विधियाँ अपनाकर वनों की उपज में वृध्दि भी की जा सकती है। 

वर्धनीय सामग्री के स्तर, इमारती लकड़ी और वृक्ष वृद्धि के मध्य जटिल अंत: क्रिया का विश्लेषण, वन प्रबंधन की मुख्य विषय वस्तु है। वन संसाधनों के प्रभावी प्रबंधन के लिए पूर्व सक्रिय अभिवृत्तिा (pro attitude) और जटिलताओं के साथ स्पर्धा करने की योग्यता अपेक्षित है। पूर्व सक्रियता पुन: सक्रियता प्रबंधन,की तुलना में प्रभावी योजना जरुरतों के लिए मान्य होती है।


guggal performance Trial

वन प्रबंधन इकाई वन मापिकी बायो मैट्रिक्स, बाजार सर्वेक्षण और वन प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं पर अनुसंधान कर रही है उदाहरणार्थ-

वृक्षारोपणों में वृद्धि एवं उपज मॉडलिंग तथा पूर्वानुमान, सांख्यिकी बंटन फलन और वानिकी में इनका उपयोग, छॅंगाई प्रबंधन, विभिन्न वन उत्पादों के बाजार मूल्य/विक्रय मूल्य का आकलन एवं सांख्यिकी से संबंधित ऑंकड़ों का एकत्रीकरण।


Evaluation of Teak Progeny Trial at Gujarat
उद्देश्य
  • महत्वपूर्ण शुष्क क्षेत्रीय वृक्ष प्रजातियों हेतु उपज तथा मात्रा समीकरण बनाना।
  • राजस्थान तथा गुजरात राज्यों की महत्वपूर्ण वृक्ष प्रजातियों की प्रभावी सघनता, मर्त्यता, आधारी क्षेत्र का पूर्वाकलन तथा विरलन मॉडलों के स्थलीय इंडेक्स समीकरण एवं वृध्दि व उपज अभिलक्षणों का विकास करना।
  • शुष्क एवं अर्ध्दशुष्क क्षेत्रों की महत्वपूर्ण चारा प्रजातियों की छंगाई का अध्ययन करना।
  • वन वृक्षारोपणों के वृध्दि-मॉडलिंग तथा वृक्षों के आकार का अभिनिर्धारण करने हेतु सांख्यिकी बेस फलन का अभिप्रयोग करना।
  • वन उत्पाद यथा इमारती लकड़ी, जलावन, बांस के बाजार भाव का आंकलन तथा वानिकी सांख्यिकी के आंकड़ो का एकत्रीकरण करना।

अकाष्ठ वनोपज को प्राय: गैर-इमारती वनोपज भी कहा जाता है। गैर-इमारती वनोपज के अन्तर्गत सभी तरह के जैविकीय पदार्थ आते हैं जो मानव उपयोग के लिए वनों से प्राप्त होते हैं। वनों से प्राप्त खाद्य पदार्थों में प्रचुर मात्रा में पोषक तत्व: जैसे कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा और सूक्ष्म पोषक तत्व (विटामिन और खनिज लवण) इत्यादि होते हैं। इस धारणा को बल मिला है कि ग्रामीण जीवन निर्वाह को उन्नत बनाने, सामुदायिक (community) आवश्यकताओं को पूरा करने, खाद्य पदार्थों की पूर्ति करने तथा पोषण देने, अतिरिक्त रोजगार और आय बढाने, रसायनिक क्रिया आधारित उद्यमों को बढावा देने, विदेशी मुद्रा के अर्जन और पर्यावरणीय जैव-विविधता के संरक्षण उद्देश्यों में अकाष्ठ वनोपज की अहम् भूमिका है।


A. ampliceps on Saline Land

आर्थिक दृष्टि से पशुपालन पर आधारित शुष्क क्षेत्रों में चारा आपूर्ति निर्बाध रूप  से बनी रहनी आवश्यक है। अध्ययन से पता चलता है कि वर्तमान में जहां अन्य वनोत्पादों की कमी हो रही है वहीं वनों से चारा इकट्ठा करना ग्रामीणों के लिए उनका प्रमुख कार्य हो गया है। बढती हुई जनसंख्या के दबाव के मद्देनजर बंजर भूमि/लवणीय क्षार युक्त भूमि तथा अपक्षीण भूमि (degraded land) पर चारा उत्पादन हेतु तकनीक विकसित करने की आवश्यकता है।

वन संवर्धन एवं वन प्रबंधन प्रभाग, पादप रसायनों, खाद्य पदार्थों एवं औषधीय पौधों के रासायनिक मूल्यांकन करने, लवणीय क्षार युक्त भूमि के उपयोग हेतु तकनीक विकसित करने, बंजर भूमि में वन चारागाह पध्दति (silvi-pastoral) अपनाकर उसको अधिकाधिक उपयोग में लाने तथा शुष्क क्षेत्रों की वृक्ष एवं झाड़ियों से अधिकाधिक गोंद प्राप्त करने जैसे कार्यों में लगा हुआ है।

 


Salvadora persica on Saline Land उद्देश्य
  • सुधार प्रबंधन तकनीक और पुनर्वनीकरण द्वारा लवणीय क्षार युक्त भूमि पर चारा उत्पादन
  • औषधीय पादपों के सतत् उपयोग तथा उनकी उपयोगिता को बढाने हेतु पादप रासायनिक मूल्यांकन , जैव विविधता संरक्षण तथा आय अर्जन में बढोतरी।
  • अकाष्ठ वनोपज की प्राप्ति हेतु शुष्क क्षेत्रीय वनस्पति का पता कर चिन्हित करना।
  • शुष्क क्षेत्रीय वनस्पति से अधिकाधिक गोंद प्राप्त करने की तकनीकें विकसित करना।

नवीन जानकारी


रोजगार एवं निविदाएं


निदेशक का संदेश



माना राम बालोच, भा.व.से.

भावाअशिप - शुष्क वन अनुसंधान संस्थान, जोधपुर (राजस्थान) की वेबसाइट पर आपका स्वागत करते हुए मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है। शुष्क वन अनुसंधान संस्थान की स्थापना.... आगे देखे»

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