वन संरक्षण प्रभाग
प्रस्तावना
वन वृक्षों पर हानिकारक कीटों और बीमारियों का प्रकोप होता है, जो कि वन वृक्ष एवं उनके स्रोतों को हानि पहुँचाते हैं। शुष्क क्षेत्रीय वृक्ष प्रजातियों में हानिकारक कीटों और बीमारियों के अनेक वर्गों के प्रति संवेदनशीलता पायी जाती है। कभी-कभी हानिकारक कीटों एवं बीमारियों का प्रकोप इतना अधिक होता है कि वनों को इनके प्रकोप से बचाने के लिए आपातकालीन प्रबंधन विधियाँ अपनाई जाती हैं। वर्तमान में बहुउद्देशीय वृक्ष प्रजाति खेजड़ी (प्रोसोपिस सिनेरेरिया) पर अज्ञात जैविक कारकों का ग्रसन रिपोर्ट किया गया, जिसके परिणामस्वरुप संपूर्ण पश्चिमी राजस्थान के ग्रामीण समुदाय को अत्यधिक सामाजिक-आर्थिक नुकसान हुआ है। शुष्क तथा अर्ध्द शुष्क क्षेत्रों में जहाँ वन आवरण का घनत्व कम है एवं प्रत्येक वृक्ष प्र्रजाति अत्यंत महत्वपूर्ण है, इस प्रकार की समस्याओं का प्रभावी निराकरण किए बिना वनों का संरक्षण अत्यंत दुष्कर है।
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Collection of soil sample
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Examination of Khejri in progress
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इन समस्याओं के समाधान हेतु संस्थान का वन संरक्षण प्रभाग कार्यरत है एवं समेकित कीट प्रबंधन द्वारा पर्यावरण हितैषी कीट प्रबंधन विधियों को विकसित कर रहा है। शुष्क तथा अर्ध्द शुष्क वृक्ष प्रजातियों पर लगने वाले हानिकारक कीटों और बीमारियों के मूल्यांकन (evaluation) पहचान, जैव पारिस्थितिकी एवं जैव प्रबंधन पर प्रभाग द्वारा अनुसंधान कार्य किया जा रहा है।
उद्देश्य
- शुष्क तथा अर्ध्द शुष्क वृक्ष प्रजातियों के हानिकारक कीटों का चयन, पहचान और जैव पारिस्थतिकी पर अध्ययन एवं समेकित कीट प्रबंधन विधियों को विकसित कर उनके कीटों एवं बिमारियों का प्रबंधन।
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नवीन जानकारी
रोजगार एवं निविदाएं
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